हिंदी शायरी जिंदगी में तन्हाईयां का जहर घोलना छोड़ दो जो भी कहना है साफ बोलो इधर-उधर की बातों में दिल तोड़ना छोड़ दो कितना तकलीफ होती है तुम्हें क्या पता रिश्तो की थोड़ी सी कद्र करना सीख लो हम उनसे नज़रें मिलाने में रह गए उनको पटाने का जुगाड़ लगाने में रह गए जब तक थोड़ी बहुत उम्मीद जागी वो अपना घर बसाने कहीं और निकल गए मोहब्बत किया है वफा चाहते हैं कब तक इग्नोर करती रहोगी दर्दे दिल की दवा चाहते हैं उम्र भर के लिए अपना बना लो जोरू का गुलाम बनने की सजा चाहते हैं उसकी मोहब्बत में जिंदगी बर्बाद हो गई फिर भी आस लगा कर बैठे हैं तन्हाई की महफिल में खुशियों की आस लगाकर बैठे हैं अब उससे किसी चीज की उम्मीद करना खतरे से खाली नहीं है मगर दांव पर जान लगाए बैठे हैं